अलेक्जेंडर सिकन्दर महान की जीवनी हिन्दी में | Biography of Alexander The Great In Hindi
Alexander – the Great (Sikandar) Biography, History in hindi, द ग्रेड अलेक्जेंडर सिकन्दर की कहानी इन हिंदी
Sikandar (Alexander) The Great Biography – हेल्लो दोस्तो आज हम एक ऐेसे महान व यशस्वी राजा के बारे में बताने जा रहे है जिसको पुरी दुनिया विश्व विजेता के नाम से जानती है वे महान राजा Alexander the great जिनको Sikandar the Great भी कहा जाता है।
हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से सिकन्दर महान के जीवन Biography of Sikandar the great के बारे में बताएंगे। हम आपको बताएंगे सिकन्दर के बारे मेंं जैसे सिकन्दर का भारत आगमन, सिकन्दर की मृत्यु कैसे हुई?, सिकन्दर कहां का राजा था, सिकन्दर के आक्रमण का प्रभाव, सिकन्दर का जन्म कहां हुआ, सिकन्दर ने कहां से शिक्षा प्राप्त की, सिकन्दर का युद्ध कौशल, सिकन्दर का विजय अभियान व सिकन्दर के बारे में रोचक तथ्य। Sikandar Biography in Hindi
सिकन्दर महान कौन था? / Who Was The Great Sikandar (Alexander)?
इतिहास में बहुत से राजा आये और गये लेकिन एक ऐसा राजा जिसके नाम के आगे पुरी दुनिया महान लिखती है और उनका नाम पुरी दुनिया में विख्यात है वे है Alexander the Great जिन्हे पुरी दुनिया महान सिकंदर के नाम से जानती है।
इतिहास में सिकंदर के साहस और वीरता के किस्से पुरी दुनिया में सुनाई देते थे। इतिहास में कई महान राजा थे लेकिन सिकंदर सिर्फ एक ही था जिसने पुरी दुनिया को हिला दिया था। सिकंदर का नाम न सिर्फ इतिहास के पन्नो पर जिंदा है बल्कि महान कहानियों व फिल्मों में भी शामिल है।
सिकन्दर/Alexander
नाम/Name | अलेक्जेंडर तृतीय |
उपनाम/Surname | सिकन्दर |
पिता का नाम/Father Name | फिलिप द्वितीय |
माता का नाम/ Mother Name | ओलिम्पिया |
सौतेली माता/Step Mother | क्लेओपटेरा |
पत्नी/Wife | रोक्जाना |
नाना/Grandfather | निओप्टोलेमस |
जन्म/Birth | 20 जुलाई 356 ईसा पूर्व |
जन्म स्थान/Birth Place | पेला में |
शिक्षकों के नाम/Teacher’s Name | दी स्टर्न लियोनीडास ऑफ एपिरूस, लाईसिमेक्स, एरिसटोटल |
विशेषता/Speciality | अलेक्जेंडर बजपन से ही एक अच्छा घुड़सवार और योद्धा था |
रूची/Interested | गणित, विज्ञान, और दर्शन शास्त्र में रूची थी |
घोड़े का नाम/Horse Name | बुसेफेल्स |
जीते हूए देश/Winning Countries | एथेंस, एशिया माइनर, पेलेस्टाइन और पुरा पर्शिया और सिन्धु के पहले तक का भारत |
मृत्यु/Death | 13 जून 323 ईसा पूर्व |
मृत्यु का कारण/Cause Of Death | मलेरिया |
मृत्यु का स्थान/Death Place | बेबीलोन |
अंतिम इच्छा/Last Wish | सिकन्दर ने अपनी मृत्यु से पहले कहा था की जब मेरी मृत्यु हो जाये तब मेरे दोनों हाथ अर्थि के अंदर नही होने चाहिए। |
सिकन्दर का परिचय / Introduction of Alexander
अलेक्जेंडर (सिकंदर) का जन्म 20 जुलाई 356 ईसा पूर्व में ‘’पेला’’ में हुआ था, जो की प्राचीन नेपोलियन की राजधानी थी। सिकंदर का पुरा नाम अलेक्जेंडर द ग्रेट था। सिकंदर के पिता का नाम फिलिप द्वितीय था जो मेक्डोनिया और ओलम्पिया के राजा थे और इसके पड़ोसी राज्य एपरूस की राजकुमारी ओलिम्पिया उनकी मां थी। एलेक्जेंडर के नाना राजा निओप्टोलेमस थे।
सिकंदर के पिता फिलिप 359 ई.पू. में मेक्डोनिया का शासक बना और 329 ई.पू. में इनकी हत्या कर दी गई। एलेक्जेंडर की एक बहन भी थी जिसका नाम क्लियोपेट्रा था, इन दोनो की परवरिश पेला के शाही दरबार में हुई थी, उन्होने अपने पिता को ज्यादातर समय सैन्य अभियानों या फिर विवाहोतर सम्बन्धों में व्यस्त ही देखा था, लेकिन उनकी मां ने अलेक्जेंडर और उसकी बहन की परवरिश में बहुत ध्यान दिया था।
सिकंदर की शिक्षा / Alexander’s Education
सिकंदर (अलेक्जेंडर) ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने रिश्तेदार दी स्टर्न लियोनीस ऑफ एपिरूस से ली थी, जिसे फिलीप ने अलेक्जेंडर को गणित, घुड़सवारी और धनुर्विध्या सिखाने के लिये नियुक्त किया था। लेकिन वो अलेक्जेंडर के उग्र व विद्रोही स्वभाव को नही संभाल सके थे। इसके बाद अलेक्जेंडर के शिक्षक लाईसिमेक्स थे जिन्होने अलेक्जेंडर के विद्रोही स्वभाव पर नियन्त्रण किया और उसे युद्ध की शिक्षा दीक्षा दी।
जब वह 13 वर्ष का हुआ तब फिलीप ने सिकन्दर के लिए एक निजी शिक्षक एरिसटोटल की नियुक्ति की। एरिस्टोटल को भारत में अरस्तु कहा जाता है। अगले तीन वर्षो तक अरस्तु ने सिकंदर को साहित्य की शिक्षा दी और वाक्पटुता भी सिखाई, इसके अलावा अरस्तु ने सिकन्दर का रूझान विज्ञान, दर्शन-शास्त्र और मेडिकल के क्षेत्र में भी जगाया, और ये सभी विधाए ही कालान्तर में सिकन्दर के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई।
सिकंदर (अलेक्जेंडर) और उसका युद्ध कौशल / Alexander and his Combat Skills
अलेक्जेंडर ने अपने पिता द्वारा मेक्डानिया को एक सामान्य राज्य से महान सैन्य शक्ति में बदलते देखा था, अपने पिता की बालकन्स में जीत पर जीत दर्ज करते हुए देखते हुए सिकंदर बड़ा हुआ था।
12 वर्ष की उम्र में सिकंदर ने घुडसवारी बहुत अच्छे से सीख ली थी और ये उन्होने अपने पिता को तब दिखाई, जब सिकन्दर ने एक प्रशिक्षित घोडे ब्युसेफेलास को काबू में किया, जिस पर और कोई नियंत्रण नही कर पा रहा था। इसके बारे में प्लूटार्क ने लिखा ‘’ फिलिप और उनके दोस्त पहले चिंता भरी खामाशी से परिणाम की प्रतीक्षा कर रहे थे, और ये मान रहे थे की फिलीप के पुत्र का करियर और जीवन अब खत्म होने वाला है लेकिन अंत में जब उन लोगो ने सिकंदर की जीत को देखा, तो खुश होकर तालियां बजाने लगे, सिकन्दर के पिता की आंखो में आंसू आ गये जो की खुशी और गर्व के आंसू थे। फिलिप अपने घोडे से निचे उतरे और उन्होने अपने बेटे के किस करते हुए कहा ‘’ मेरे पुत्र तुमको खुद की तरफ और इस महान साम्राज्य की तरफ देखना चाहिए, ये मेक्डोनिया का राज्य तुम्हारे सामने बहुत छोटा है, तुममे असीम प्रतिभा है’’। अलेक्जेंडर ने अपने जीवन के कई युद्धो में बुसेफेल्स की सवारी की और अंत तक वो घोडा उनके साथ रहा।
340 में जब फिलिप ने अपनी विशाल मेकडोनियन सेना को एकत्र करके थ्रेस में घुसपैठ शुरू की, तब उनके अपने 16 वर्ष के पुत्र सिकन्दर को मेक्डोनिया राज्य पर अपनी जगह शासन करने के लिये छोड दिया था, इससे यह पता चलता है कि इतनी कम उम्र में ही सिकन्दर को कितना जिम्मेदार माना जाने लगा था। जैसे जैसे जैसे मेक्डोनियन सेना ने थ्रेस में आगे बढना शुरू किया, मेडी की थ्रेशियन जनजाति ने मेक्डोनिया के उत्तर-पूर्व सीमा पर विद्रोह कर दिया, जिससे देश के लिये खतरा बढ गया।
सिकन्दर ने सेना एकत्रित की और इसका इस्तेमान विद्रोहियों के सामने शुरू किया और तेजी से कार्यवाही करते हुए मेडी जनजाति को हरा दिया, और इनके किले पर कब्जा कर लिया और इसका नाम उसने खुद के नाम पर एलेक्जेंड्रोपोलिस रखा।
2 वर्षो बाद 338 ई.पू. में फिलिप ने मेकडोनीयन आर्मी के ग्रीस में घुसपैठ करने पर आपने बेटे को सेना में सीनियर जनरल की पोस्ट दे दी। चेरोनेआ के युद्ध मे ग्रीक की हार हुई और सिकन्दर ने अपनी बहादुरी दिखाते हुए ग्रीक फॉर्स-थेबन सीक्रेट बैंड को खत्म कर दिया, कुछ इतिहासकारों का कहना है कि मेक्डोनियन की ये जीत पूरी तरह से सिकन्दर की वीरता पर आधारित थी।
चेरोनेआ मे ग्रीक की हार के बाद शाही परिवार बिखरने लगा। फिलीप ने भी क्लेओपटेरा से शादी कर ली। शादी के समारोह में क्लेओपटेरा के अंकल ने फिलिप के न्यायसंगत उत्तराधिकारी होने पर सवाल लगा दिया। सिकन्दर ने अपना कप उस व्यक्ति के चेहरे पर फैंक दिय, और उसे बास्टर्ड चाइल्ड कहने के लिए अपना क्रोध व्यक्त किया। फिलिप खडा हुआ और उसने सिकन्दर पर अपनी तलवार तानी जो की उसके अर्ध-चेतन अवस्था में होने के कारण चेहरे पर ही गिर गयी। सिकन्दर तब क्रोध मे चिल्लाया की ‘’देखो यहां वो आदमी खडा है जो यूरोप से एशिया तक जीतने की तैयारी कर रहा है लेकिन इस समय अपना संतुलन खोये बिना एक टेबल तक पार नही कर सकता, इसके बाद उनसे अपनी मां को साथ लिया और एपिरिस की तरफ चला गया। हांलाकि उसे लौटने की अनुमति थी, लेकिन इसके बाद काफी समय तक सिकन्दर मेक्डोनियन कोर्ट से विलग ही रहा।
सिकन्दर का सत्ता अधिग्रहण / Power Acquisition Of Alexander
336 बीसी अलेक्जेंडर की बहन ने मोलोस्सियन के राजा से शादी की इसी दौरान होने वाले महोत्सव मे पौसानियास ने राजा फिलिप द्वितिय की हत्या कर दी। अपनी पिता की मृत्यु के समय अलेक्जेंडर 19 वर्ष का था और उसमें सत्ता हासिल करने का जोश और जूनून चरम पर था। उसने मेकडोनियन सेना के शस्यागार के साथ जनरल और फौज को एकत्र किया, जिनमें वो सैना भी शामिल थी जो केरोनिया से लडी थी। सैना ने अलेक्जेंडर को सामन्ती राजा घोषित किया और उसकी राजवंश के अन्य वारिसों की हत्या करने में मदद की।
ओलिम्पिया ने भी अपने पुत्र की इसमें मदद की उसने फिलीप और क्लेओपटेरा की पुत्री को मार दिया और क्लेओपटेरा को आत्महत्या करने के लिए मजबूर कर दिया।
अलेक्जेंडर के मेक्डोनिया के सामन्ती राजा होने के कारण उसे कोरिंथियन लीग पर नियन्त्रण ही नही मिला बल्कि ग्रीस के दक्षिणी राज्यों ने फिलिप द्वितिय की मृत्यु का जश्न मनाना भी शुरू कर दिया और उन्होने विभाजित और स्वतंत्र अभिव्यक्ति शुरू की।
एथेन के पास भी एक खुद का एजेंडा था। डेमोक्रेटिक डेमोस्थेनेस के नेतृत्व में राज्य को लीग का चार्ज मिलने की आशा थी। उन्होने जैसे ही स्वतन्त्र आन्दोलन शुरू किया अलेक्जेंडर ने तुरंत अपनी सैना को दक्षिण मे भेजा और उन्हे अपना नेतृत्व मानने के लिए कहा।
336 के अंत तक कोर्निथीयन लीग से सम्बन्धित शहरों ने ग्रीक राज्यों के साथ पुन: संधि कर ली।जिनमें एथेंस ने इसके लिये मना कर दिया और अपने सबल सेना को पर्शियन राज्य के खिलाफ लड़ने को भेज दिया, लेकिन युद्ध की तैयारी करने से पहले अलेक्जेंडर ने 335 में थ्रासियन जनजाति को पराजित करके मेक्डोनिया के उत्तरी सीमा को सुरक्षित किया।
अलेक्जेंडर का विजय अभियान / Alexander’s Victory Campaign
अलेक्जेंडर जब अपने उत्तरी अभियान को खत्म करने के करीब था, तब उसे ये खबर मिली की ग्रीक राज्य के शहर थेबेस ने मेकडोनियन फौज को अपने किले से भगा दिया है। अन्य शहरो के विद्रोह के डर से अलेक्जेंडर ने अपनी सेना के साथ दक्षिण का रूख किया। इन सब घटनाक्रमों के दौरान ही अलेक्जेंडर के जनरल परनियन ने एशिया की तरफ अपना मार्ग बना लिया है अलेक्जेंडर और उसकी सेना थेबेस मे इस तरह से पहुंची की वहां की सेना को आत्म–रक्षा तक का मौका नही मिला।
अलेक्जेंडर का मानना था की थेबेस को तबाह करने परर अन्य राज्यों पर भी उसका डर कायम होगा और उसका यह अंदेशा सही साबित हुआ ऐसा करने पर एथेंस के साथ ग्रीक के अन्य शहर भी मकेडोनियन राज्य के साथ संधि करने को तैयार हो गए।
334 में अलेक्जेंडर ने एशियाई अभियान के लिए नौकायन शुरू किया और उस वर्ष की वसंत में ट्रॉय में पंहुचा। अलेक्जेंडर ने ग्रेंसियस नदी के पास पर्शियन राजा डारियस तृतीय की सेना का सामना किया उन्हे बुरी तरह से पराजित किया। पतझड़ के आने तक अलेक्जेंडर व उसकी सेना ने दक्षिणी समुन्द्र किनारो को पार करते हुए एशिया माइनर से गोरडीयम में प्रवेश किया, जाहां पर सर्दियों के समय तो उन्होने सिर्फ आराम किया।
333 की गर्मियों मे अलेक्जेंडर की सेना और डारियस की सेना के मध्य एक बार फिर से युद्ध हुआ। हालांकि अलेक्जेंडर की सेना में ज्यादा सैनिक होने के कारण उसकी फिर से एक तरफा जीत हुई और अलेक्जेंडर ने डारीयस को पकडकर तडीपार करके खुदको पर्शिया का राजा घोषित कर दिया।
अलेक्जेंडर का अगला लक्ष्य इजिप्ट को जीतना था। गाजा की घोराबंदी करके अलेक्जेंडर ने आसानी से इजिप्ट पर कब्जा कर लिया। 331 में उसने अलेक्जांद्रिया शहर का निर्माण किया और ग्रीक संस्कृति और व्यापार के लिए उस शहर को केन्द्र बनाया, उसके बाद अलेक्जेंडर ने गौगमेला के युद्ध में पर्शिया को हरा दिया। पर्शियन सेना की हार के साथ ही अलेक्जेंडर बेबीलोन का राजा, एशिया का राजा और दुनिया के चारो कोनो का राजा बन गया।
अलेक्जेंडर का अगला लक्ष्य ईस्टर्न ईरान था, जहां उसने मेक्डोनियन कालोनी बनाई और अरिमाजेस में 327 किमी पर अपना कब्जा जमाया। प्रिंस ओक्जियार्टेस को पकड़ने के बाद उसने प्रिन्स की बेटी रोक्जाना से विवाह कर लिया।
अलेक्जेंडर और भारत / Alexander and India
328 बी सी में अलेक्जेंडर ने भारत में पोरस की सेना को हराया, लेकिन वेा पोरस के पराक्रम से बहुत प्रभावित हुआ और उसे वापिस राजा बना दिया। राजा पोरस ने अपने दिमाग और बहादुरी से सिकंदर क साथ लड़ाई की उसके काफी संघर्ष व कोशिश करने के बाद भी राजा पोरस को हार का सामना करना पड़ा था। इस महा युद्ध के दौरान सिकन्दर की सेना को भी भारी नुकसान हुआ था। बहुत सारे महान राजाओ का कहना है कि राजा पोरस बहुत ही शक्तिशाली शासक माने जात थे।
राजा पोरस का पंजाब में झेलम से लेकर चेनाब नदी तक राजा पोरस का राज्य शासन फैला हुआ था। सिकन्दर राजा पोरस की बहादुरी से बहुत ही प्रभावित हुए क्योकि राजा पोरस ने जिस तरह लड़ाई लडी थी उसक देख कर सिकंदर दंग रह गये थे। इस युद्ध के बाद सिकंदर ने राजा पोरस से दोस्ती कर ली थी। उस उसके राज्य के साथ साथ कुछ और भी इलाके दिये थे।
अलेक्जेंडर ने सिन्धु के पूर्व की तरफ बढ़ने की कोशिश की, लेकिन उसकी सेना ने आगे बढ़ने से मना कर दिया और वापिस लौटने को कहा। 325 बीसी में अलेक्जेंडर ने ठीक होने के बाद अपनी सेना के साथ उत्तर की तरफ पर्शियन खाडी के सहारे का रूख किया, उस समय बहुत से लोग बीमार पड गए, कुछ चोटिल हो गए, तो कुछ की मृत्यु हो गयी। अपने नेतृत्व और प्रभाव को बनाए रखने के लिये उसने पर्शिया के प्रबुद्ध जनों को मेक्डोनिया के प्रबुद्ध जनों से मिलाने का सोचा, जिससे एक शासक वर्ग बनाया जा सके। इसी क्रम मे उसने सुसा मे उसने मेक्डोनिया के बहुत से लोगो को पर्शिया की राजकुमारियों से शादी करवाई। अलेक्जेंडर ने जब 10 हजार की संख्या पर्शियन सैनिक अपनी सेना में नियुक्त कर लिए, तो उसने बहुत से मेक्डोनियन सैनिको को निकाल दिया, इस कारण सेना का बहुत बडा हिस्सा उससे खफा हो गया और उन्होने पर्शियन संस्कृति को अपनाने से भी मना कर दिया।
अलेक्जेंडर ने तब 13 पर्शियन सेना नायको को मरवाकर मेक्डोनीयन सैनिकों का क्रोध शांत किया, इस तरह सुसा में पर्शिया और मेक्डोनिया के मध्य सम्बन्धों को मधुर बनाने के लिए किया जाने वाला आयोजन सफल नही हो सका।
अलेक्जेंडर की मृत्यु / Death of Alexander
कार्थेज और रोम पर विजय प्राप्त करने के बाद अलेक्जेंडर की मृत्यु मलेरिया रोग के कारण बेबीलोन में हुई। पर कई लोगो अपने अलग-अलग तथ्य बताते है इसलिये आज तक उनकी मौत का असली कारण नही पता चल पाया है यह सवाल अभी तक एक रहस्य है।
अलेक्जेंडर की मृत्यु 13 जून 323 में हुई थी, तब वह मात्र 32 वर्ष का था, उसकी मृत्यु के कुछ महिनो बाद उसकी पत्नी रोक्जाना ने एक बेटे को जन्म दिया। उसकी मृत्यु के बाद उसका साम्राज्य बिखर गया। और इसमें शामिल देश आपस में शक्ति के लिये लड़ने लगे। ग्रीक और पूर्व के मध्य हुए सांस्कृतिक समन्वय का अलेक्जेंडर के साम्राज्य पर विपरीत प्रभाव पड़ा।
सिकन्दर महान का पुत्र / Son Of Alexander The Great
सिकन्दर महान और रूकसाना का पुत्र अलेक्जेंडर चतुर्थ था। इसके जन्म से पहले ही सिकंदर की मृत्यु हो गई। इस कारण जनता के मन उत्तराधिकार को लेकर असंतोष था। इस बात का फायदा उठाते हुए फिलिप तृतीय ने पैदल सेना को अपनी ओर कर लिया।
रूकसाना ने बाकियों को राजी किया कि यदि पुत्र होगा तो वो राजा बनेगा अथवा रीजेंट पर फिलिप का राज होगा। 323 ईसा पूर्व या 322 ईसा पूर्व के शुरू में अलेक्जेंडर चतुर्थ का जन्म हुआ।
सिकन्दर ने अपनी मृत्यु से पहले कहा था की जब मेरी मृत्यु हो जाये तब मेरे दोनों हाथ अर्थि के अंदर नही होने चाहिए। क्योकि सिकन्दर चाहता था की उसके दोनो हाथ अर्थि के बाहर ही रहे। सिकन्दर उसके जरिये दुनिया को यह दिखाना चाहता था की उसने दुनिया को जीता और उसने अपने हाथ मे सब कुछ भर लिया लेकिन मृत्यु के बाद भी हमारे हाथ खाली है। इंसान जिस तरह दुनिया में खाली हाथ आता है और ठीक उसी तरह उसको खाली हाथ जाना पड़ता है। चाहे वह कितना भी महान क्यों न बन जाए।
सिकन्दर के बारे मे रोचक तथ्य / Interesting Facts About Alexander
1. सिकन्दर अपने भाईयों को मारकर बना था राजा।
2. सिकन्दर को अरस्तु ने दिखया था दुनिया जीतने का सपना।
3. सिकन्दर का एक नाम आलक्षेन्द्र भी था।
4. भारत में सिकन्दर का सामना सबसे पहले तक्षशीला के राजा आम्भी के साथ हुआ था तब आम्भी ने शिघ्र ही आत्मसमर्पण कर दिया और सिकन्दर की सहायता की।
5. यह कहा जाता है कि जिस दिन अलेक्जेंडर का जन्म हुआ उस दिन ग्रीस के टेपंल ऑफ अर्टमिस (Temple of Artemis) को जला दिया गया था। टेपंल ऑफ अर्टमिस (Temple of Artemis) दुनिया के सात अजुबो में शामिल था। उस समय इस घटना को देखते हुए पूर्व के भविष्यवक्ताओं ने कहा था की एशिया को नष्ट करने वाली ताकत का जन्म हो चुका है।
6. अलेक्जेंडर को Heterochromiaaa Iridium नामक एक बिमारी थी जिसकी वजह से उनकी दोनो आंखो का रंग अलग-अलग था।
7. सिकन्दर तर्क करने मे इतना तेज था कि उसे साधारण शिक्षक पढ़ा नही सकते थे। इसलिये उसके पिता फिलिप ने अरस्तु को सिकन्दर का शिक्षक नियुक्त किया। जो की उस समय के महान व मशहूर विचारक थे।
8. अपने पिता की मृत्यु के पश्चात सिकन्दर ने राजगददी पाने के लिये अपने सौतेले और चचेरे भाईयों का कत्ल कर दिया और मकदुनिया का राजा बन गया।
9. पारसी समुदाय को हराने के बाद सिकन्दर ने दो और शादियां की थी और उसके बाद सिकन्दर ने परसी समुदाय के तरह ही अपनी वेशभुषा बना ली थी।
10. 340 में जब फिलिप ने अपनी विशाल मेकडोनियन सेना को एकत्र करके थ्रेस में घुसपैठ शुरू की, तब उनके अपने 16 वर्ष के पुत्र सिकन्दर को मेक्डोनिया राज्य पर अपनी जगह शासन करने के लिये छोड दिया था।
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