History Of Scripts Of India – भारत अनेक धर्म, जाति व परंपरा का समावेश है। भारत मे अनेक भाषाऐं बोली जाती है। भारत की कुछ प्राचीन लिपियां भी है जो प्राचीन समय में लिखी जाती थी। कुछ ऐसी भाषाऐं जो आज से बहुत समय पहले लिखी जाती थी। वैज्ञानिक द्वारा प्राचीन समय की कई भाषाओं का अर्थ निकाला जा चुका है। आज हम इस पोस्ट में कुछ प्राचीन लिपियों के बारे में आपको बतायेगें। Bharat ke prachin lipiyo ki suchi
भारतीय प्राचीन लिपियां
सिंधु लिपि-Sindhu lipi
सिंधु लिपि सिंधु घाटी सभ्यता द्वारा उत्पादित प्रतीकों का संग्रह है। इसके अधिकतर अभिलेख बहुत छोटे हैं। यह स्पष्ट नहीं है कि क्या इन प्रतीकों का उपयोग भाषा को रिकॉर्ड करने हेतु लिपि के रूप में होता था कि नहीं।
ब्राह्मी लिपि-Brahmi lipi
ब्राह्मी, भारतीय उपमहाद्वीप और मध्य एशिया में ईसा पूर्व अंतिम शताब्दियों एवं आरंभिक ईस्वी शताब्दी के दौरान प्रयुक्त प्राचीनतम लेखन प्रणाली है। कुछ विद्वानों का विश्वास है कि ब्राह्मी समकालीन शमी लिपि या संभवत सिंधु लिपि से उत्पन्न हुई थी। दक्षिण पूर्व एशिया में सभी जीवित इंडिक लिपियां ब्राह्मी की संतान है। सबसे प्रसिद्ध ब्राह्मी अभिलेख उत्तर-मध्य भारत में अशोक के शिलालेख हैं, जो 250-232 ईसा पूर्व के हैं। इस लिपि का कूटवाचन 1837 में जेंस प्रिंसेप द्वारा किया गया था। ब्राह्मी सामान्य रूप से बाएं से दाएं लिखी जाती है। ब्राह्मी अबूगिडा है अर्थात प्रत्येक इकाई व्यंजन पर आधारित है और स्वर संकेतन द्वितीयक है।
गुप्त लिपि-Gupt lipi
यह गुप्त साम्राज्य से संबंधित है और इसका प्रयोग संस्कृत के लेखन के लिए किया जाता था। गुप्त लिपि ब्राह्मी से निकली है और इसने नागरी, शारदा और सिद्धम लिपियों को उत्पन्न किया। इन लिपियों ने आगे चलकर भारत के अनेक महत्वपूर्ण लिपियों को उत्पन्न किया जिनमें देवनागरी, गुरमुखी लिपि, असमिया लिपि, बांग्ला लिपि एवं तिब्बती लिपि सम्मिलित है।
खरोष्ठी लिपि-Kharoshthi lipi
खरोष्ठी लिपि प्राचीन गंधार में गांधारी प्राकृत और संस्कृत का लेखन करने के लिए उपयोग की जाने वाली प्राचीन लिपि है। यह ब्राह्मी के समकालीन लिपि है और इसका कूट वाचन भी पुनः जेम्स प्रिंसेप द्वारा किया गया था। खरोष्ठी भी ब्राह्मी के समान अबूगिडा है। खरोष्ठी में अंको का एक समूह होता है जो रोमन अंकों I, X के समान होते हैं। खरोष्ठी अधिकतर दाएं से बाएं लिखी जाती है, लेकिन कुछ अभिलेखों में खरोष्ठी कि बाएं से दाएं लिखे जाने की दिशा भी देखी गई है।
वट्टेलुत्तु लिपि-Vatteluttu lipi
वट्टेलुत्तु वर्णमाला दक्षिण भारत में उत्पन्न हुई अबूगिडा लेखन प्रणाली है। तमिल ब्राह्मी से विकसित वट्टेलुत्तु, तमिल लोगों द्वारा तमिल लिपि को लिखने के लिए विकसित तीन मुख्य वर्णमाला प्रणालियों में से एक है।
कदम्ब लिपि-Kadamb lipi
कदम्ब लिपि कन्नड़ का लेखन करने के लिए समर्पित लिपि के जन्म को चिन्हित करती है। यह ब्राह्मी लिपि से उत्पन्न हुई है और चौथी से छठी शताब्दी ईस्वी में कदम्ब राजवंश के शासक के दौरान विकसित हुई है। यह लिपि बाद में कन्नड़ तेलुगु लिपि बन गई।
ग्रंथ लिपि-Granth lipi
ग्रंथ लिपि का व्यापक उपयोग 6वीं शताब्दी एवं 20वीं शताब्दी ईस्वी के बीच तमिल वक्ताओं द्वारा दक्षिण भारत में विशेष रुप से तमिलनाडु और केरल में संस्कृत एवं शास्त्रीय भाषा मणिप्रवलम का और लेखन करने के लिए किया जाता था, एवं अभी भी पारंपरिक वैदिक विद्यालयों में इसका प्रतिबंधित उपयोग किया जाता है। यह एक ब्राह्मी मूल की लिपि है, जो तमिलनाडु में ब्राह्मी लिपि से विकसित हुई है। मलयालम लिपि, तिगलरी और सिंहल वर्णमालाओं की तरह सीधे ग्रंथ लिपि से उत्पन्न हुई है।
सारदा लिपि-sarada lipi
सारदा या शारदा लिपि ब्राह्मी मूल परिवार की अबूगिडा लेखन प्रणाली है, जिसका विकास 8वीं शताब्दी ईस्वी के दौरान हुआ है। इसका प्रयोग संस्कृत एवं कश्मीरी लिखने के लिए किया जाता था। इसका उपयोग शुरू से अधिक व्यापक था, जो बाद में कश्मीर तक सीमित रह गया, और कश्मीरी पंडित समुदाय द्वारा अनुष्ठानिक प्रयोजनों के अतिरिक्त अब यदा-कदा ही इसका प्रयोग किया जाता है।
गुरमुखी लिपि-Gurmukhi lipi
गुरमुखी सारदा लिपि से विकसित हुई है और इसे 16वीं शताब्दी ईस्वी के दौरान गुरु अंगद द्वारा मानकीकृत किया गया था। संपूर्ण गुरु ग्रंथ साहिब इस लिपि में लिखा गया है, और इसे सिखों और हिंदुओं द्वारा पंजाबी भाषा लिखने के लिए सर्वाधिक रूप से उपयोग किया जाता है।
देवनागरी लिपि-Devnagari lipi
यह भारत और नेपाल की अबूगिडा लेखन प्रणाली है। इसे बाएं से दाएं लिखा जाता है। देवनागरी लिपि का उपयोग हिंदी, मराठी, नेपाली, पालि, कोंकणी, बोडो, सिंधी और मैथिली भाषाओं एवं बोलियों सहित 120 से अधिक भाषाओं को लिखने के लिए किया जाता है तथा इस प्रकार का यह विश्व की सर्वाधिक उपयोग की जाने एवं अपनाई जाने वाली लेखन प्रणालियों में से एक बन जाती है। देवनागरी लिपि का उपयोग शास्त्रीय संस्कृत लेखनों के लिए भी किया जाता है।
मोड़ी लिपि-Moddi lipi
मोड़ी लिपि का उपयोग मराठी भाषा लिखने के लिए किया जाता है। 20वीं शताब्दी में मराठी के लिए मानक लेखन प्रणाली के रूप में देवनागरी लिपि की बालबोध शैली को प्रोत्साहन किए जाने तक लिखने के लिए आधिकारिक लिपि थी। यद्यपि मोड़ी को मुख्य रूप से मराठी लिखने के लिए उपयोग किया जाता था, लेकिन उर्दू ,कन्नड़, गुजराती, हिंदी और तमिल जैसी अन्य भाषाओं को भी मोड़ी लिपि में लिखे जाने के लिए जाना जाता है। मोड़ी लिपी भी एक अबूगिडा लेखन प्रणाली है।
उर्दू लिपि-Urdu lipi
उर्दू लिपि को दाएं से बाएं लिखा जाता है और इसका प्रयोग उर्दू भाषा को लिखने के लिए किया जाता है। यह फारसी वर्णमाला का रूपांतरण है, जो स्वयं अरबी वर्णमाला का व्युत्पन्न है और इसकी मूल 13वीं शताब्दी में है। यह फारसी अरबी लिपि की नास्तालीक शैली के विकास से संबंधित है। उर्दू लिपि को उसके विस्तारित रूप में शाहमुखी लिपि के नाम से जाना जाता है और इसका प्रयोग उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप की अन्य भारतीय-आर्य भाषाएँ जैसे पंजाबी और सेराइकी लिखने के लिए भी किया जाता है सेराइकी पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में बोली जाती है।
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nice post